" गम में हूँ या हूँ शाद मुझे खुद पता नहीं
खुद को भी हूँ में याद मुझे खुद पता नहीं
में तुझे चाहता हूँ पर मांगता नहीं
मौला मेरी मुराद मुझे खुद पता नहीं...."
"सूरज भी निकल आया और रात बह गयी,
जो बात उनसे कहनी थी वह बात रह गयी....!"
ना समझा किसी ने, ना जाना किसी ने,
ना हमने बताया, ना माना किसी ने ,
मोहब्बत के कायदे भी अजीब हैं ,
ना खोया किसी ने ना पाया किसी ने!