Thursday, September 26, 2019

एक मैं हूं यहाँ, एक तू है, सिर्फ साँसों की ही गुफ्तगू है;




एक मैं हूं यहाँ, एक तू है, 
सिर्फ साँसों की ही गुफ्तगू है; 


शाम के साज पर रोशनी,  
गीत गाते हुए आ रही है; 


तेरी जुल्फों से छनकर वो देखो,
चाँदनी नूर बरसा रही है;


वक्त यूं ही ठहर जाए हमदम,
दिल को इतनी सी इक आरजू है,


एक मैं हूं यहाँ एक तू है;
दूर धरती के कांधे पर देखो, 


आसमां झूमकर झुक गया है;
नर्म बाॅहों के घेरे के बाहर,


शोर दुनिया का चुप रुक गया है;
मेरे ख्वाबों में जो तैरती थी,
अप्सरा तू वही हूबहू है,

एक मैं हूं यहाँ एक तू है;
एक मैं हूं यहाँ, एक तू है,
सिर्फ साँसों की ही गुफ्तगू है;