एक मैं हूं यहाँ, एक तू है,
सिर्फ साँसों की ही गुफ्तगू है;
शाम के साज पर रोशनी,
गीत गाते हुए आ रही है;
तेरी जुल्फों से छनकर वो देखो,
चाँदनी नूर बरसा रही है;
वक्त यूं ही ठहर जाए हमदम,
दिल को इतनी सी इक आरजू है,
एक मैं हूं यहाँ एक तू है;
दूर धरती के कांधे पर देखो,
आसमां झूमकर झुक गया है;
नर्म बाॅहों के घेरे के बाहर,
शोर दुनिया का चुप रुक गया है;
मेरे ख्वाबों में जो तैरती थी,
अप्सरा तू वही हूबहू है,
एक मैं हूं यहाँ एक तू है;
एक मैं हूं यहाँ, एक तू है,
सिर्फ साँसों की ही गुफ्तगू है;