Thursday, September 26, 2019

एक मैं हूं यहाँ, एक तू है, सिर्फ साँसों की ही गुफ्तगू है;




एक मैं हूं यहाँ, एक तू है, 
सिर्फ साँसों की ही गुफ्तगू है; 


शाम के साज पर रोशनी,  
गीत गाते हुए आ रही है; 


तेरी जुल्फों से छनकर वो देखो,
चाँदनी नूर बरसा रही है;


वक्त यूं ही ठहर जाए हमदम,
दिल को इतनी सी इक आरजू है,


एक मैं हूं यहाँ एक तू है;
दूर धरती के कांधे पर देखो, 


आसमां झूमकर झुक गया है;
नर्म बाॅहों के घेरे के बाहर,


शोर दुनिया का चुप रुक गया है;
मेरे ख्वाबों में जो तैरती थी,
अप्सरा तू वही हूबहू है,

एक मैं हूं यहाँ एक तू है;
एक मैं हूं यहाँ, एक तू है,
सिर्फ साँसों की ही गुफ्तगू है;

Thursday, November 3, 2016

भवँर में हैं सफीना लेकर हम पतवार बैठे हैं

भवँर में हैं सफीना लेकर हम पतवार बैठे हैं,
        किनारे दर्द की बाटी के साहूकार बैठे हैं, 



                             तुम्हारे ख्वाब में आने की हसरत आज भी हैं,
                                        पर सुना हैं द्वार पर पलकों के पहरेदार बैठे हैं...!

कोई मंज़िल नहीं जचती, सफर अच्छा नहीं लगता






















       कोई मंज़िल नहीं जचती, सफर अच्छा नहीं लगता                                          अगर में घर लौट भी आऊ, घर मुझे अच्छा नहीं लगता,                               करू में क्या अब तुम्हारे बिन मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता..

Tuesday, October 25, 2016

गम में हूँ या हूँ शाद मुझे खुद पता नहीं

" गम में हूँ या हूँ शाद मुझे खुद पता नहीं
           खुद को भी हूँ में याद मुझे खुद पता नहीं

 

में तुझे चाहता हूँ पर मांगता नहीं

         मौला मेरी मुराद मुझे खुद पता नहीं...."








Saturday, October 15, 2016

सूरज भी निकल आया और रात बह गयी

"सूरज भी निकल आया और रात बह गयी,


जो बात उनसे कहनी थी वह बात रह गयी....!"