HINDI KAVITA KOSH
Thursday, November 3, 2016
कोई मंज़िल नहीं जचती, सफर अच्छा नहीं लगता
कोई मंज़िल नहीं जचती, सफर अच्छा नहीं लगता
अगर में घर लौट भी आऊ, घर मुझे अच्छा नहीं लगता,
करू में क्या अब तुम्हारे बिन मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता..
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