तडपन, पीर, उदासी, आँसूं
तडपन, पीर, उदासी, आँसूं, बेचैनी, उपवास, अमावस,
अजब प्रीत का मौसम
मन में पतझर है,
नयनों में पावस, इस अलमस्त जुगलबंदी
से बाहर,
कुछ भी प्रीत नहीं
है, ये सब सच है
गीत नहीं है..............................................
लोग मिले कितने
अनगाये,
कितने उलझ-उलझ
सुलझाये ,
कितनी बार डराने
पहुंचे ,
आखों तक कुछ काले
साये ,
जो
इन का युगबोध न समझे,
साथी होगा मीत नहीं
है !
ये सब सच है गीत नहीं है.......
अपमानों कि सरस
कहानी ,
जग भर को है याद
ज़ुबानी
और विजय के उद्घोषों
पर
दुनिया की यूँ
आनकानी ,
खुद से अलग लड़े
युद्धों में जीत मिली,
पर जीत नहीं है ,
ये सब सच है
गीत नहीं है..........................................
डॉ. कुमार विश्वास
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