Thursday, May 5, 2016

तुम से कौन कहेगा आकर ?

तुम से कौन कहेगा आकर ?
कितनी रात ढलीं बिन चँदा ,
कितने दिन बिन सूरज बीते ,
कैसे तड़प-तड़प कर बिखरे ,
भरी आखँ में सपने रीते ,
कौन पिये और कैसे खाए ,
मन को जब जोगी भा जाए ,
तुम को कौन सिखाये भा कर ?









तुम से कौन कहेगा आकर....?
उन घावों कि अमर-कहानी ,
जिन के आखर पानी-पानी ,
उन यादों की आपबितायी ,
जिन की चुनर धानी-धानी ,
तुम को कहाँ मिलेगा अवसर ,
कुछ पल रोम-रोम में बस कर ,
हम सा कोई सुनाये गाकर ?
तुम से कौन कहेगा आकर....?

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